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फच्चों क े ऩारकों वे वम्ऩकत क े शरए बी फार के बफनेट की जलाफदायी तम शै । ऩौधों की देखयेख, ऩौधों को
ऩानी देना, प्राथतना भें अनुळावन, वुवलचाय, राईन वे जुते-चप्ऩर जभाना, कचया ना कयना, बोजन कयने
वे ऩशरे शाथ धोना, बोजन भॊत्र फोरने क े फाद बोजन ळुरु कयना आर्द कई कामो का दातमत्ल फार
के बफनेट की जलाफदेशी भे शै ।
अनुऩस्थथत फच्चो को ळारा भें राने क े शरए ककमे गए प्रमावों भें फार के बफनेट का बयऩूय वशमोग यशा –
● फार के बफनेट ऩीरे चालर रेकय फच्चो क े घय जाते शै, औय थक ू र आने क े शरए आभॊबत्रत कयते शै
● टोरी फनाओ अशबमान अॊतगतत बी प्रेरयत ककमा जाता शै
● ऩोथटकाडत रेखन
2. शळषा गुणलर्त्ा शेतु नलाचाय -
1. ळारा भें शळषा की ऩद्धतत ‘वऩमय रतनांग‘ ऩय आधारयत शै । मश इव वलद्मारम की वफवे फड़ी वलळेऴताओॊ भें वे
एक शै । मशॉ ॊ कभजोय फच्चों को कभजोय न कशकय ‘थरो रनतय’ कशा जाता शै । ग्रुऩ इव तयश वे फनामे जाते शै
स्जववे थरो रनतय क े वाथ एक पाथटत रनतय को बफठामा जाता शै स्जववे पाथटत रनतय भें ग्रुऩ वॊचारन षभता,
वलऴमलथतु क े प्रतत आत्भवलश्लाव बी फढ़ता शै । फच्चे फच्चो क े वाथ आवानी वे शवख जाते शै ।
2. ळारा शवद्धी कामतिभ अॊतगतत ळारा ने थलभूल्माॊकन ककमा ल औय वुधाय क े धचस्न्शत षेत्र शरए गए शै उन्शें तम
वभम वीभा भे ऩूणत कयने का तनश्चम ककमा । आज की स्थथतत भे ळारा थतय 3 ऩय शै इववे ळारा का लातालयण
बमभुक्त एलॊ आनन्दभमी फन गमा शै।
3. गततवलधधमाॊ जो ळारा भें कयलाई गई –
स्जववे खेर-खेर भें फच्चो को वीखाने का प्रमाव ककमा गमा । इनवे लातालयण को बी बमभुक्त औय आनन्दभम
फनाने भें कापी वशामता शभरी ।-
1. ळारा क े वबी फच्चो क े ऩरयचम ऩत्र फनाकय नाभ वे ऩरयधचत कयामा ।
2. फच्चे जो वाप–वपाई वे नशीॊ आए उनको ळारा भें शी तैमाय कयना । ( तेर, काॉच, कॊ घा)
3. ऩमातलयण भें रयतुओॊ क े जानकायी की गततवलधी
4. लऴत क े भशीनों क े नाभ क े शरए "वार भें शोते भशीने फायश'
5. अॊग्रेजी भें वप्ताश क े नाभ क े शरए "एक वलक भें गुडड़मा धमाशी'
6. "फच्चे कशाॉ जाओगे' थक ू र क े शरए प्रेरयत कयने की गततवलधी
7. र्शन्दी भें वप्ताश क े नाभ माद यखने क े शरए, "एक वप्ताश क े र्दन शै वात'
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