Page 356 - Final Draft_Casestudies_17June2019_new
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               तुरनात्भक चाटत-


                                           ऩूलत स्थथतत        लततभान स्थथतत

               छात्र उऩस्थथतत              40%                80-85%
               छात्र ऩॊजीकयण               94                 136

               अधधगभ थतय                   अतत तनम्न          अच्छा

               छात्रों का भानशवक थतय       औवत                अच्छा
               शळषकों का रुझान             औवत                फशत अच्छा
                                                                 ु
               वभुदाम का दृस्ष्टकोण        नकायात्भक          फशत वकायात्भक
                                                                 ु
               वभुदाम का वशमोग             बफरक ु र नशीॊ      अऩेषाअनुवाय

               श्रशभक फच्चों का नाभाॊकन    10                 35
               ऑर्टस्थटक फच्चों का नाभाॊकन   2                12

               वलद्मारम की ऩशचान           ऺयाफ वलद्मारम      स्जरे क े वफवे अच्छे वलद्मारमों भें एक

               अन्म                        क ु छ बी वलळेऴ नशीॊ   वोळर भीडडमा क े भाध्मभ वे कई प्रदेळों क े वाथ वलदेळों क े
                                                              शळषक बी मशाॉ की गततवलधमों औ यथरेटेजीज को पॉरो कयते

                                                              शै।


                                                    बवलष्मकारीन मोजनाएॉ


               रगबग  अबी  30  ऩरयलायोंको  जो  ईट  बट्ठों  ऩय  जाते  शैं  उनके   फच्चे  शळषा  वे  लॊधचत  शैं  उन्शें  थथानी

               योजगाय वे जोड़ने क े शर प्रमाव कयना ककवी वॊथथा की भदद वे उन्शें योजगाय ऩय प्रशळषण र्दराना। इन

               ऩरयलायकी भर्शराओॊ को छोटे छोटे घयेरु योजगायों वे जोड़ना तथा उनके  फच्चों को शळषा वे जोड़ना ताकक
               इनकी आने लारी ऩीढ़ी का फचऩन बट्ठों की आग भें न जरे।


               थलमॊ की थक ू र रीडय के  ऱूऩ भें बूशभकाएक थक ू र रीडय की तयश भेया मे फदराल का वपय आवान

               नशीॊ था भेये ऩाव न अच्छा बलन था न फच्चों की अच्छी ळैक्षषक गुणलर्त्ा थी न वभुदाम का वशमोग था

               न बौततक वॊवाधन औय नशी आधथतक भदद। भैंने कई रोगों की वलयोधी प्रततकिमाओॊ का वाभना ककमा।

               एक भर्शरा क े शरए इतनी वलऴभ दळाओॊ लारे ग्राभीणऱूर्ढ़लादी षेत्र भें फदराल की फात बी रोगों को
               अजीफ  रगती  थी  जो  इववे  ऩशरे  ककवी  ने  नशीॊ  वोची  मशी  कायण  था  कक  मशाॉ  क े  रोग  शळषको  को

               अच्छीदृस्ष्ट वे नशीॊ देखते थे भुझे इव दृस्ष्टकोण को फदरना था भुझे उन्शें फताना था कक बफना वॊवाधनों


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