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तनबाने शेतु शी उऩस्थथत शोते थे औय स्जन्शें वलद्मारम भें वॊचाशरत अधधगभ प्रकिमा को रेकय ना
कोई जुड़ाल था ल ना शी लो इवकी जरुयत भशवूव कयते थे |
शळषक : आॊकड़ों ल यऩट क े वयकायी आदेळों की औऩचारयकतातनबाने की खानाऩूततत भें रगे तथा
ऩॊस्जमों क े वाथ भाथा -ऩच्ची भें उरझे ल ऩन्नों ऩय कॉरभों क े शरए राइनें खीॊचने की अॊतशीन
प्रकिमा को तनऩटाने भें शळषक, स्जनके ऩाव फच्चों वे जुड़ने की ना तो इच्छा ळेऴ थी औय ना शी
लक्त था |
बलन ऩरयवय ल वॊवाधन -उदाव औय फेजान वलद्मारम बलन ल ऩरयवय तथा मत्र-तत्र बफखड़े ऩड़े
नगण्म वॊवाधन औय चतुर्दतक अथत-व्मथत स्थथतत, भानोवायी चुनौततमाॉ एक वाथ भुॉश फाए खड़ी थी |
फदराल की कलामद
1 फच्चों ल अशबबालकों को वलद्मारम वे जोड़ने ल वलके स्न्ित नेतृत्ल भें वाझेदाय फनाने की तैमायी :नैयाश्म
औय फोझझर उदावी वे खीझकय उधभ भचाने को प्रलृत यशने लारे फच्चों वे जुड़ाल ल उन्शें अधधगभ
प्रकिमा वे जोड़ने शेतु शळषकों को अशबप्रेरयत कयने की प्रकिमा ऩक्के घड़े ऩय शभट्टी चढाने क े
भातनन्द रग यशे थे | वभाज का वलद्मारम की व्मलथथा ऩय कोई वलश्लाव नशीॊ कोई जुड़ाल नशीॊ |
फव आळा की आझखयी ककयण के लर लो फच्चे थे, जो तनमशभत वलद्मारम आ यशे थे, शय वुफश नई
उम्भीदों क े थलप्न वॊजोए | भुझे रगा कक नए यॊग बयने की कोशळळें मशी वे ळुऱू की जा वकती शै |
भेयी मे धायणा कक “आऩ शळषा क े शरए उऩमुक्त लातालयण का तनभातण कयें फाकी काभ लातालयण खुद
कय रेगा” को आजभाने का लक्त रगा कक अफ आ गमा शै | फारके स्न्ित अशबरुधच भें वभार्शत
थलथथ प्रततथऩधात भाशौर तथा वलके स्न्ित नेतृत्ल को भूतत ऱूऩ देने शेतु चाय शाउव (ळास्न्ततनके तन,
तषशळरा, शभधथरा एलॊ वलिभशळरा) भें वबी फच्चों क े वभूश वलबाजन क े वाथ फच्चों का वलद्मारमी
ऩरयलेळ वे जोड़ने ल वलके स्न्ित नेतृत्ल भें वाझेदाय फनाने की प्रकिमा भूतत शोने रगी | अशबबालक औय
फच्चों क े फीच तनयॊतय वॊलाद वे लातालयण भें फदराल की आशट आने रगी |
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