Page 435 - SLDP CASE STUDIES 2019-20, MIEPA
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प्रथम तो सालभर का ऐसा बनयोजन बकया जाता हैं की कोई समस्या न आये । लेकीन क ु छ-क ु छ समस्याएूँ ऐसी होती है बक जो ऐन
मौके पर उत्पन हो जाती हैं और उसपर तुरिंत बनणाय लेना पड़ता हैं। और तुरिंत अमिंलबजा णी होना भी अबन ाया होता हैं। शालेय स्तर पर आने ाली
हर समस्या का बनणाय सोच समझकर लेना पड़ता है, क्यों की पाठशाला एक सिंस्था हैं|
मेरी पाठशाला बहिंदी माध्यम की है। इसमें उत्तर भारतीय समाज क े लोग ९९.९% प्रबतशत हैं। पालक, ब द्याथी, अध्यापक सबकी
समस्या अलग-अलग। लेकीन सबका तालमेल बबठाकर समस्याओिं का समाधान करना पड़ता हैं। पाठशाला में प्रशासबकय समस्याएूँ, भौबतक
समस्याएूँ, सामाबजक समस्याएूँ आदी रहती है। लेकीन इन समस्याओिं को सुलझाते समय मैं छात्रों की सुरक्षा स् ास््य इसपर प्रथम ध्यान देती ह ूँ।
पाठशाला का भौगोबलक ाता रण, इमारत प्रबतक ु ल पररबस्थती में होनेपर भी अध्यापक, छात्र तथा पालक इनको बशकायत का मौका
नहीं बदया गया मैंने प्रधानाध्यापक क े पद का सही इस्तेमाल कर प्रशासबकय बातो का पत्रव्य हार बकया| शालेय बैठक व्य स्था तथा ाता रण में
सुधार लाने का सफलतापू ाक प्रयास बकया। सामबजक सिंस्थाओिं का सहभाग बलया गया NGO तथा समाज काया का पररचय देकर उनसे छात्रों
क े बलए लोक सहभाग से शालेय स्तुएूँ प्राप्त की गई।
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